स्वप्नदोष का नाम सुनते ही शर्मिंदा हो जाने वाले पुरुष अब राहत की सांस ले सकते हैं. इस बीमारी के बारे में माना जाता रहा है कि यह सिर्फ पुरुषों को ही होता है. लेकिन अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं को भी स्वप्नदोष होता है.
स्वप्नदोष में दरअसल नींद में 'रंगीन' सपनों के माध्यम से ऑर्गेज्म का अनुभव होता है और वीर्यपात होता है.
1953 में डॉ अल्फ्रेड किंस्ले ने लगभग 6 हजार महिलाओं पर शोध किया. इनमें से 37 फीसदी महिलाओं ने माना कि 45 साल की उम्र तक कम से कम एक बार उन्हें स्वप्नदोष का अनुभव हुआ है. उन्होंने इसे रात के वक्त की उत्तेजना के तौर पर परिभाषित किया, जिससे महिलाएं ऑर्गेज्म पाने के लिए जाग उठती हैं. उन्होंने अपने रिसर्च में यह भी पाया कि जिन महिलाओं को अपने सेक्स जीवन में ऑर्गेज्म की प्राप्ति कम होती है, उनके साथ स्वप्नदोष की समस्या ज्यादा होती है.
1986 में हुए एक और अध्ययन में बारबरा वेल्स ने पाया कि स्वप्नदोष का अनुभव करने वाली महिलाओं में से लगभग 85 फीसदी को यह अनुभव काफी कम उम्र में हुआ. सामान्यत 21 साल की उम्र से पहले और कुछ मामलों में तो 13 साल से भी पहले.
सेक्सप्लेनेशन्स नाम की किताब लिखने वाले डॉ बेली के अनुसार, नींद में भावनाओं पर हमारा नियंत्रण कमजोर पड़ जाता है और हमारी दबी हुई भावनाएं, चाहतें सांकेतिक तौर पर उभरकर समने आ जाती हैं. बेली के अनुसार, कई महिलाएं नींद में अपेक्षाकृत जल्दी ऑर्गेज्म हासिल कर लेती हैं.
सेक्स से संबंधित नियम-कायदों से भी आपका सपना प्रभावित होता है. डॉ. बेली के अनुसार, एक व्यक्ति जिसने सेक्स से संबंधित कठोर नियम-कायदे बना रखे हों, हो सकता है कि सपने में वह उतना ही 'उदार' हो.
Amsterdam University की एक मनोवैज्ञानिक के अनुसार, महिलाओं को स्वप्नदोष होना कोई बहुत हैरानी की बात नहीं है. उत्तेजना के उन पलों में जब वो नींद में ही ऑर्गेज्म पा रही होती हैं, तो वे पूरी तरह नींद में नहीं होती हैं.
हालांकि महिलाओं के स्वप्नदोष के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. उनकी शारीरिक बनावट इस तरह की होती है कि स्वप्नदोष का ठीक-ठीक अंदाजा उनको भी नहीं लग पाता.